________________ कन्या क्ष्यका पठनाधिकार. एक दिन प्रजापाल भूपाल अपनी दोनो बालाओंको देखकर इस प्रकार नीतिके वचनोंको विचारने लगाः (श्लोक.) लालयेत् पञ्चवर्षाणि / दशवर्षाणि ताइयेत् // जाते च षोडशे वर्षे / पुत्र मित्रमिवा चरेत्॥ 1 // ___ भावार्थः-पुत्रकी पांच वर्ष तक लालन पालन करना, दस वर्ष तक ताड़ना तर्जना करना || और सोलह वर्षका होने पर मित्रके समान आचरण करना चाहिये. | ऐसा सोचकर सुरसुन्दरी को शिवभूति पण्डितके पास और मदनसुन्दीको जैनधर्ममें निपुण 5 सुबुद्धि पण्डितप्रवरके पास पठनार्थ रक्खी गई; आया बालिका मिथ्या गुरुके उपदेशसे मिथ्या # Ac. Gunratrasuri M.S. Jun Gun Aarada 4SAK