________________ * श्रीपाल चरित्र. // 3 // OHOROREGARASHAN . किसी एक समय ये दोनो युवतियें सगर्भा हुई, अपने 2 गर्भका विवेकपूर्वक पालन करने प्रस्ताव लगी, जो 2 डोहले उत्पन्न होते थे वे सब राजा पूर्ण करता था, सौभाग्यसुन्दरी मिथ्या धर्मकी. पहिला. सेवा करती थी तथा रूपसुन्दरी सुदेव, सुगुरु और सुधर्मकी सेवा-पूजा, भक्ति और उन्नती करती थी तथा दीन हीन प्राणियोंको अनुकम्पा दान देती थी, सुगर्भके प्रभावसे धर्म कार्यमें तलालीन रहती थी. गर्भकाल पूरा होनेपर दोनो रानियोंने पुत्रियोंको जन्म दिया, दासियोंने प्रजापाल all महाराजको वधाई दी, राजाने भी प्रसन्न होकर उन्हें प्रीतिदान बक्षा; दोनो कुंवरियोंका जन्म || 6 महोत्सव भारी ठाठसे किया-सौभाग्यसुन्दरीके पुत्रीका नाम सुरसुन्दरी और रूपसुन्दरीके क-5| न्याका नाम मदनसुन्दरी ( मयणासुन्दरी ) रक्खा, अब ये दोनो कुमारिकाओं बालक्रीडा करती हुईं सुखसे बड़ती हैं. सुरसुन्दरी बाल्यावस्थासे ही स्वभाव चपला और मिथ्यात्व रूपी अंधकारमें | निवास करती थी तथा मदनसुन्दरी स्वभाव सुन्दरा, गुणज्ञा, बुद्धिमती, श्रीमती और सर्व जनवल्लभा थी; इस प्रकार सुखसे काल गमन होता था. // 3 // LAC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradh