Book Title: Shripal Charitra
Author(s): Anandsagar
Publisher: Ganeshmal Dadha

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Page 10
________________ चरित्र पाहला. श्रीपाल- सिद्धचक्रके प्रजावका अतिशय वर्णन किया; आपने फरमाया कि नव पदोंके सम्मेलनसे सिद्ध 1 चक्रपद ' बनता है वे नव पद ये हैं. 1 अर्हत्पद सिद्धपद 3 आचार्यपद 4 उपाध्यायपद 5 है। है। साधुपद 6 दर्शनपद 7 ज्ञानपद 8 चारित्रपद 9 तपपद; ये नव पद सदा सुखको देने वाले, सम|स्त दुःखको हरनेवाले, कल्याणको करनेवाले और राज्यादि अनेक मनोरथोंको पूरनेवाले है; | अतः श्रीपालनरेंद्र के समान निरन्तर इनका आराधन करना चाहिये. . यह सुनकर श्रेणिक भुपालने परम कृपालु श्रीगौतमस्वामीसे निवेदन किया-दे भगवन् ! | है वह श्रीपाल नरेश कौन ? किस प्रकार सिद्धचक्रका आराधन किया तथा उससे कौनसा फल प्राप्त किया? इत्यादि सर्व आख्यान अनुग्रहपूर्वक निरूपण करें-राजाकी इस नम्र प्रार्थनाको स्वी- * कार श्रीगौतम गणधरने सजल मेघ गर्जारवके सदृश श्रीपाल नरेश्वरका चरित्र इस प्रकार फरमायाः-. ASSAMACHAAR RESSk 885 c. Gunratnaeuri M.S. Jun Gurr Aaradhal

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