Book Title: Shripal Charitra
Author(s): Anandsagar
Publisher: Ganeshmal Dadha

View full book text
Previous | Next

Page 9
________________ . वान्, तेजस्वी, यशस्वी और चतुर्बुद्धि निधान 'अभयकुमार' नामका एक सुपुत्र था-दूसरी चे. लणा रानी थी जिसके अशोकचंद्र, हल्ल, विहल इस प्रकार तीन पुत्र थे-तीसरी धारिणी नामकी | पत्निके मेघकुमार पुत्र था, और भी अनेक रमणियों सहित महाराजा श्रेणिक आनन्दपूर्वक अ. पना समय व्यतीत करता था. राजग्रही नगरीके समीप वणिक ग्रामके उद्यानमें परमात्मा महावीर देव समवसरे; वहांपर। | भक्तियुत देवोंने समवसरणकी रचना की और प्रभु धर्म देशना देने लगे-इधर प्रथम गणधर श्रीगौतमस्वामी नगरीके वनमें पधारे, वनपालने राजा श्रेणिकको बधाई दी, पृथ्वीपतिने प्रसन्न होकर उसे प्रीतिदान दिया और अपने परिवार सहित जाकर गणधर महाराजको भक्तिपूर्वक | वंदन नमस्कार किया, पश्चात् अपने योग्य स्थानपर बैठ गया, अवसरको पाकर गौतमस्वामीने धर्म देशना प्रारंभ की-दान, शील, तप और भाव इस || गुणचतुष्टय पर प्रभावशाली व्याख्यान किया सर्व धर्मों में 'भाव धर्म' को प्रधान दिखलाते हुवे PARSAAAA R P.AC.Gunratnasur.M.S. Jun Gun Aaradi

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 198