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[तिक्खुत्तो तीन बार बोलें
| गुरु-वन्दन सूत्र तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेमि, वंदामि, नमंसामि, सक्कारेमि, सम्माणेमि कल्लाणं, मंगलं, देवयं, चेइयं
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पज्जुवासामि
मत्थएण वंदामि।
[प्रस्तुत सूत्र से तीन बार गुरुदेव को वन्दन करें और आलोचना की आज्ञा लें तथा इस पाठ को एक बार बोलें। | श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र २१
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