Book Title: Shravak Pratikraman Sutra
Author(s): Pushkarmuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

View full book text
Previous | Next

Page 130
________________ परिशिष्ट जिन चौबीसी (तर्ज-मोहनगारो रे) आनन्द चावो रे, वा वा आनन्द चावो रे। चौबीस जिनन्द का नित्य गुण गावो रे ॥ टेर ।। ऋषभ अजित संभव अभिनन्दन, सुमति पदम को ध्यावो रे। सुपार्श्व और चन्द्रप्रभु को, शीश नमावो रे ॥ आनन्द. ॥ १ ॥ सुविधि शीतल श्रेयांस वासुपूज्य, ध्यायां से तिर जावो रे। विमल अनन्त श्री धर्म शान्ति जिन, __ शान्ति वर्तावो रे॥ आनन्द. ॥ २॥ कुंथु अर्ह मल्लि मुनिसुव्रत, जप्यां जाप सुख पावो रे। | श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र १२७

Loading...

Page Navigation
1 ... 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148