Book Title: Shravak Pratikraman Sutra
Author(s): Pushkarmuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 141
________________ जीभ घिसे नहीं दांत घिसे नहीं, होठ घिसे नहीं चाम। प्रभु भजन करने से तेरे, लगे न कोड़ी छदाम ॥ ले ले. ॥२॥ लगा पद्मासन दृष्टि नाक पर, चित्त को कर फिर ठाम । जाप अजपा जप प्रभु का, __पावे सुख आराम ॥ ले ले. ॥ ३ ॥ इन्द्रिय विषय लगे हैं तुझको, मिट्टे अति ललाम। फल किम्पाक समान है मित्रो! कह गए हैं जग स्वाम ॥ ले ले. ॥ ४ ॥ अब तो छोड़ो मन को मोड़ो, विषय भोग निकाम। मन अश्व को बाँध के रखना, दे प्रभु नाम लगाम ॥ ले ले. ॥५॥ पुष्कर मुनि तारा गुरुवर को, करता नित्य प्रणाम। साल सताणु किया चौमासा, सुन्दर खण्डप ग्राम ॥ ले ले.॥६॥ १३८ श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र

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