Book Title: Shravak Pratikraman Sutra
Author(s): Pushkarmuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 146
________________ सहसागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिवत्तियागारेणं, वोसिरामि। (साधक ने दश प्रत्याख्यानों में से जो प्रत्याख्यान किए हों उनका समय पूर्ण होने पर उस प्रत्याख्यान का नाम लेकर निम्न पाठ बोलकर पार लेना चाहिए।) प्रत्याख्यान पारने का पाठ उग्गए सूरे (नमोक्कार-सहियं) पच्चक्खाणं कयं तं पच्चक्खाणं सम्मं कारणं न फासियं, न पालियं, न तीरियं, न किट्टियं, न सोहियं, न आराहियं, आणाए अणुपालियं न भवइ तस्स मिच्छामि दुक्कडं। | श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र १४३ २४३

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