Book Title: Shravak Pratikraman Sutra
Author(s): Pushkarmuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 132
________________ सीमन्दिर, युगमन्दिर स्वामी, बाहु सुबाहु धीश। कर्मवन दहन अनल सम, सुजात विभु जगदीश ॥ वंदूं. ॥१॥ स्वयंप्रभ और ऋषभानन्दन, परम वन्द्य विश्वेश। अनन्तवीर्य सूरप्रभ स्वामी, __ सेवित चरण सुरेश ॥ वंदूं. ॥२॥ वज्रधर पुनि विशालधर को, नित्य नमाऊं शीश। चन्द्रानन्दन चन्द्रबाहु जी, कर्म वपु दिये पीस ॥ वंदूं. ॥३॥ भुजंग प्रभु और ईश्वरस्वामी, नेमप्रभु श्रमणेश। वीरसेन की अजब वीरता, प्रसरित है विशेष ॥ वंदूं. ॥४॥ महाद्युतिधर महाभद्र को, . लखि हो लजित महेश। श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र १२९ |

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