________________
श्री मुख वीर समुच्चरे,
श्रेणिक राय प्रतिबोध, लाल रे। गोत्र तीर्थंकर बांधने,
पावे मुक्ति नो शोध, लाल रे ॥ कर. ॥२॥ लाख खण्डी सोना तणी,
देवे नित्य प्रति दान, लाल रे। पडिकमणो दोय टंक करे,
नहीं आवे तेह समान, लाल रे॥ कर. ॥ ३ ॥ लाख वर्ष लग ते वली,
दीजे दान अपार, लाल रे। एक सामायिक ने तोले,
__ न आवे तेह लगार, लाल रे॥ कर. ॥ ४ ॥ सामायिक चउवीसत्थव,
वन्दन दोय दोय बार, लालरे। व्रत संभालो आपणा,
किया जो कर्म अपार, लाल रे ॥ कर. ॥५॥ कर काउसग्ग शुभ ध्यान थी,
दिन में दोय दोय बार, लाल रे। | श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र १३३
१३३