Book Title: Shravak Pratikraman Sutra
Author(s): Pushkarmuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 138
________________ माया रो लोभी प्राणियो, ___मर ने दुर्गति जात ॥ भूलो. ॥१॥ मूरख कहे धन म्हायरो, धन खरचे न खाय। वस्त्र बिना जाई सूत्रों, लखपति लकडा रे माय ॥ भूलो. ॥२॥ केहना छोरू रे केहना वाछरू, केहना माय ने बाप। ओ प्राणी जासी एकलो, साथे पुण्य ने पाप ॥ भूलो. ॥ ३ ॥ आशा तो डुंगर जेवडी, मरणो पगला रे हेट । धन संची-संची कांई करो, करो सद् गुरुनी भेट ॥ भूलो. ॥ ४ ॥ लखपति छत्रपति सहु गया, गया लाख बेलाख। गर्व करी गोखे बेसता, जल बल हो गया राख । भूलो. ॥ ५॥ श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र १३५

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