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राजमती और कुन्ती सती।
द्रौपती चन्दनबाला वती॥ वंदूं. ॥२॥ मृगावती पुनि चेलना जान।
प्रभावती शीलगुण की खान ॥ वंदूं. ॥ ३ ॥ सती दमयंती रु सुभद्रा नार।
खोल्या है चम्पानगर के द्वार ॥ वंदूं. ॥ ४ ॥ सुलसा शिवा सत्य शीलवती।
सोलमी सती श्री पद्मावती ॥ वंदूं. ॥ ५ ॥ नाशत रोग ने शोग मरी।
सिमरे सतियों को चित्त धरी । वंदूं. ॥६॥ लीमडी शहर है बाणु की साल।
पुष्कर के वर्ते हैं मंगल माल ॥ वंदूं. ॥ ७॥
प्रतिक्रमण की सज्झाय कर पडिकमणो भाव सुं।
दोय घड़ी शुभ ध्यान, लाल रे। परभव जाता जीव ने,
संबल साचो जान, लाल रे ॥ कर. ॥१॥
- श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र