Book Title: Shravak Pratikraman Sutra
Author(s): Pushkarmuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 134
________________ मण्डीपुत्र जी मौर्यपुत्र जी, __सद्गुण के भण्डार। अकम्पित और अचलभ्रात जी, मुक्तिपुरी दातार ॥ वंदूं. ॥ ३ ॥ मेतारज और श्री प्रभास, गणधर यह अग्यार। ब्रह्मर्षि आदर्श ऋषि यह, ___काटन कर्म कुठार ।। वंदूं. ॥ ४ ॥ मुझ नैया है मध्य धार में, कर दो पैले पार। भव चक्र से 'मुनि पुष्कर' को, तारो दीन दयाल ॥ वंदूं. ॥५॥ सती स्तवन (तर्ज-सेवी श्री रिष्टनेम.) वंदूं सोलह सती, ओ वंदूं सोलह सती। नाम से आनन्द होवे अति ॥ टेर । ब्राह्मी सुन्दरी ऋषभ-सुता। सीता कौशल्या जगत पूता ।। वंदूं. ॥१॥ श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र १३१

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