Book Title: Shravak Pratikraman Sutra
Author(s): Pushkarmuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

View full book text
Previous | Next

Page 129
________________ उत्तर दिशा की ओर मुख करके भगवान श्री महावीर को तथा धर्माचार्य (धर्मगुरु) को वन्दन करें, बाद में सभी स्वधर्मी बन्धुओं को हाथ जोड़, मान मोड़ नीचे मस्तक झुकाकर अन्तःकरण से खमाता हूँ, ऐसा कहें। __ प्रतिक्रमण में खास सूचना है कि जहाँ-जहाँ 'देवसिय' शब्द आवे वहाँ-वहाँ प्रातःकाल के प्रतिक्रमण में 'राइय सम्बन्धी', पाक्षिक प्रतिक्रमण में 'पक्खी सम्बन्धी', चौमासी प्रतिक्रमण में 'चौमासी सम्बन्धी' और सांवत्सरिक प्रतिक्रमण में 'संवत्सरी सम्बन्धी' बोलना चाहिए। Com [ १२६ आवक प्रशिक्ष्मण सूत्र - श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र

Loading...

Page Navigation
1 ... 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148