Book Title: Shravak Pratikraman Sutra
Author(s): Pushkarmuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 127
________________ देव अरिहंत, गुरु निर्ग्रन्थ, धर्म केवलीभाषित दयामय और सच्चे की सद्दहणा, झूठे का तस्स मिच्छामि दुक्कडं । थव थुइ मंगलं ( कहकर नीचे बैठ जाय और दाहिना घुटना नीचे करके एवं बायाँ घुटना ऊँचा करके दो बार 'नमोत्थुणं' बोलें ।) प्रणिपात सूत्र नमोत्थुणं ! अरिहंताणं, भगवंताणं, आइगराणं, तित्थयराणं, सयंसंबुद्धाणं, पुरिसुत्तमाणं, पुरिससीहाणं, पुरिसवर - पुण्डरीयाणं, पुरिसवर - गंधहत्थीणं, लोगुत्तमाणं, लोग - नाहाणं, १२४ श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र

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