Book Title: Shravak Pratikraman Sutra
Author(s): Pushkarmuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay
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देव अरिहंत, गुरु निर्ग्रन्थ,
धर्म केवलीभाषित दयामय और सच्चे की सद्दहणा, झूठे का तस्स मिच्छामि दुक्कडं ।
थव थुइ मंगलं
( कहकर नीचे बैठ जाय और दाहिना घुटना नीचे करके एवं बायाँ घुटना ऊँचा करके दो बार 'नमोत्थुणं'
बोलें ।)
प्रणिपात सूत्र
नमोत्थुणं !
अरिहंताणं, भगवंताणं, आइगराणं, तित्थयराणं,
सयंसंबुद्धाणं,
पुरिसुत्तमाणं, पुरिससीहाणं,
पुरिसवर - पुण्डरीयाणं,
पुरिसवर - गंधहत्थीणं, लोगुत्तमाणं, लोग - नाहाणं,
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श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र

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