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[पद्मासन आदि से बैठकर या खड़े होकर कायोत्सर्ग-ध्यान करें और ध्यान में “इरियावहिए" का पाठ “जीवियाओ ववरोविया" तक मन में चिन्तन करें]
[“नमो अरिहंताणं" पढ़कर ध्यान खोलना और निम्न पाठ को एक बार बोलना।]
| कायोत्सर्ग दोषापहार सूत्र | कायोत्सर्ग में आर्तध्यान, रौद्रध्यान ध्याया हो,
और धर्मध्यान, शुक्लध्यान न ध्याया हो तो तस्स मिच्छामि दुक्कडं।
१. एक लोगस्स का ध्यान भी करते हैं।
श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र