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क्षेत्र-वास्तु का यथा परिमाण, हिरण्य-सुवर्ण का यथा परिमाण, द्विपद-चतुष्पद का यथा परिमाण, कुविय धातु का यथा परिमाण, जो परिमाण किया है उसके उपरान्त अपना करके परिग्रह रखने का पच्चक्खाण, जावजीवाए, एगविहं तिविहेणं, न करेमि, मणसा, वयसा, कायसा,
ऐसा पाँचवाँ स्थूल परिग्रह-परिमाण व्रत के विषय में जो कोई अतिचार लगा हो तो आलोऊँ
क्षेत्र-वास्तु के परिमाण का अतिक्रमण किया हो, हिरण्य-सुवर्ण के परिमाण का अतिक्रमण किया हो, धन-धान्य के परिमाण का अतिक्रमण किया हो, द्विपद-चतुष्पद के परिमाण का अतिक्रमण किया हो,
कुप्य (घर बिखेरी) के परिमाण का अतिक्रमण किया हो, तो
जो मे देवसिओ अइयारो कओ तस्स मिच्छामि दुक्कडं।
श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र