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| पाँच पदों की वन्दना ।
नमो अरिहंताणं नमस्कार हो, अरिहंतो को। अरिहंत भगवान कैसे हैं ? उप्पन्न-नाण-दसणधरा-अरहा जिण केवली चार घाती कर्म-ज्ञानावरण, दर्शनावरण, मोहनीय और अन्तराय के क्षय करने वाले हैं। चार अनन्त चतुष्टयअनन्त ज्ञान, अनन्त दर्शन, अनन्त चारित्र, और अनन्त वीर्य के धारण करने वाले हैं। देव-दुन्दुभि, भा-मण्डल, स्फटिक-सिंहासन, अशोक-वृक्ष, पुष्प-वृष्टि, दिव्य-ध्वनि, छत्र, चामर, इन आठ महाप्रातिहार्यों से सुशोभित हैं। इन बारह गुणों से युक्त और अठारह दोषों से रहित हैं। जघन्य बीस तीर्थंकर उत्कृष्ट एक सौ साठ तथा सत्तर तीर्थंकर, वर्तमान में
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श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र