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अष्ट कर्म नष्ट कर सिद्ध हुए। उनके पन्द्रह भेदतीर्थ-सिद्धा, अतीर्थ-सिद्धा, तीर्थंकर-सिद्धा, अतीर्थंकर-सिद्धा, स्वयंबुद्ध-सिद्धा, प्रत्येकबुद्ध-सिद्धा, बुद्धबोधित-सिद्धा, स्त्रीलिंग-सिद्धा, पुरुषलिंग-सिद्धा, नपुंसकलिंग-सिद्धा, स्वलिंग-सिद्धा, अन्यलिंग-सिद्धा, गृहस्थलिंग-सिद्धा, एक-सिद्धा, अनेक-सिद्धा, अनन्त ज्ञान, अनन्त दर्शन, अनन्त सुख, क्षायिक-समकित, अटल अवगाहना, अमूर्तपना, अगुरुलघु, अनन्त अकरणवीर्य रूप आठ गुण प्राप्त किये हैं।
अडियल्ल छन्द अविनाशी अविकार परम रस धाम है। समाधान सर्वज्ञ सहज अभिराम है। शुद्ध बुद्ध अविरुद्ध अनादि अनन्त है। जगत शिरोमणि सिद्ध सदा जयवन्त है। ..
श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र
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