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तिविहेणं पडिक्कन्तो,
वंदामि जिण चउव्वीसं॥२॥ (अब यहाँ 'सामायिक', 'चउवीसत्थवो', 'वन्दना', 'प्रतिक्रमण' ऐसे चार आवश्यक समाप्त हुए। अब तिक्खुत्तो से तीन बार गुरु-वंदना कर पाँचवें आवश्यक की आज्ञा लें।)
विशोधन पाठ देवसिय-पायच्छित्त-विसोहणटुं करेमि काउसग्गं। | नमस्कार मंत्र नमो अरिहंताणं, नमो सिद्धाणं, नमो आयरियाणं, नमो उवज्झायाणं, नमो लोए सव्व साहूणं। एसो पंच नमोक्कारो, सव्व पाव प्पणासणो। मंगलाणं च सव्वेसिं,..
पढमं हवइ मंगलं॥ | ११४ •श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र
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