Book Title: Shravak Pratikraman Sutra
Author(s): Pushkarmuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay
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खमणिजो भे किलामो। अप्पकिलंताणं, बहु-सुभे दिवसो वइक्कतो! जत्ता भे! जव णि जं च भे? खामेमि खमासमणो! -- देवसियं वइक्कम। * आवस्सिआए पडिक्कमामि। खमासमणाणं; देवसियाए, आसायणाए, तित्तिसन्नयराए, जं किंचि मिच्छाए, मण-दुक्कडाए, वय-दुक्कडाए, काय-दुक्कडाए, कोहाए, माणाए, मायाए, लोहाए, सव्वकालियाए, सव्वमिच्छोवयाराए
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श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र

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