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उपरान्त अदत्तादान का पच्चक्खाण, जावज्जीवाए दुहिं तिविहेणं,
न करेमि, न कारवेमि, मणसा, वयसा, कायसा,
ऐसा तीसरा स्थूल अदत्तादान विरमण व्रत के विषय में जो कोई अतिचार लगा हो तो आलोऊँ
चोर की चुराई वस्तु ली हो, चोर को सहायता दी हो, राज्य-विरुद्ध किया हो, झूठा तोल, झूठा माप किया हो, वस्तु में भेल-संभेल किया हो, तो जो मे देवसिओ अइयारो कओ तस्स मिच्छामि दुक्कडं।
| चतुर्थ ब्रह्मचर्य अणुव्रत | चौथा अणुव्रत-थूलाओ मेहुणाओ वेरमणं, सदार संतोसिए अवसेस
१. श्राविका ‘सभत्तार संतोसिए' पढ़ें।
श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र
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