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मणसा, वयसा, कायसा,
ऐसा दूसरा स्थूल मृषावाद विरमण व्रत के विषय में जो कोई अतिचार लगा हो तो आलोऊँसहसाकार-किसी पे झूठे आल दिये हों, रहस्य (छानी) बात प्रकट की हो, स्त्री-पुरुष का मर्म प्रकाशित किया हो, किसी को मिथ्या उपदेश दिया हो, झूठे लेख लिखे हों, तो जो मे देवसिओ अइयारो कओ तस्स मिच्छामि दुक्कडं।
| तृतीय अस्तेय अणुव्रत । तीसरा अणुव्रत-थूलाओ अदिनादाणाओ वेरमणं, ___ खात खनकर, गाँठ खोलकर, ताले पर कुंजी लगाकर, मार्ग में चलते को लूटकर, पड़ी हुई वस्तु मालिक की जान के लेने के पच्चक्खाण, सगेसम्बन्धी, व्यापार सम्बन्धी तथा पड़ी निर्धमी वस्तु के
श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र