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धन-धान्य के परिमाण का अतिक्रमण किया हो, द्विपद-चतुष्पद के परिमाण का अतिक्रमण किया
कुप्य (घर बिखेरी) के परिमाण का अतिक्रमण किया हो,
तो आलोऊँ।
छट्टा दिशा परिमाण व्रत के विषय में जो कोई अतिचार लगा हो तो आलोऊँऊर्ध्व दिशा के परिमाण का अतिक्रमण किया हो, अधो दिशा के परिमाण का अतिक्रमण किया हो, तिर्यक् दिशा के परिमाण का अतिक्रमण किया हो, क्षेत्र वृद्धि की हो,
क्षेत्र परिमाण के विस्मृत हो जाने से क्षेत्र परिमाण का अतिक्रमण किया हो,
तो आलोऊँ।
सातवाँ उपभोग-परिभोग परिमाण व्रत के विषय में जो कोई अतिचार लगा हो तो आलोऊँ
सचित्त का आहार किया हो, । श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र । ४३ |