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देवसियाए, आसायणाए, तित्तिसन्नयराए, जं किंचि मिच्छाए, मण-दुक्कडाए, वय-दुक्कडाए, काय-दुक्कडाए, कोहाए, माणाए, मायाए, लोहाए, सव्वकालियाए, सव्वमिच्छोवयाराए, सव्वधम्माइक्कमणाए, आसायणाए, जो मे देवसिओ अइयारो कओ, तस्स खमासमणो ! पडिक्कमामि, निंदामि, गरिहामि, अप्पाणं वोसिरामि।
| खमासमणा की विधि । [प्रथम जहाँ 'निसीहियाए' शब्द आता है वहाँ दोनों घुटने खड़े करके हाथ जोड़कर बैठे, तथा छह आवर्तन करें, वे इस प्रकार हैं-प्रथम 'अहो का यं का य' शब्द उच्चारण करते तीन आवर्तन होते हैं, जैसे-दोनों हाथ लम्बे कर हाथ की दसों अंगुलियाँ भूमि पर लगाकर तथा गुरु चरण स्पर्श करके 'अ' अक्षर नीचे स्वर से कहें, फिर ऐसे ही दसों अँगुलियाँ अपने मस्तक पर लगाकर 'हो' अक्षर ऊँचे स्वर से कहें, यह दोनों अक्षरों के कहने से प्रथम आवर्तन होता है, और इसी प्रकार 'का' और 'य' दो उच्चारण करते समय द्वितीय आवर्तन होता है। इसी तरह 'का' और
श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र