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ओसा-उत्तिंग-पणग-दग-मट्टीमक्कडा संताणा-संकमणे। जे मे जीवा विराहिया। एगिदिया, बेइंदिया, तेइंदिया, चउरिंदिया, पंचिंदिया। अभिहया, वत्तिया, लेसिया, संघाइया, संघट्टिया, परियाविया, किलामिया, उद्दविया, ठाणाओ ठाणं संकामिया, जीवियाओ ववरोविया, तस्स मिच्छामि दुल्कडं। [यहाँ तीन बार 'तिक्खुत्तो' से गुरु-वन्दन कर "व्रत अतिचार शामिल पढ़ने की आज्ञा है" ऐसा कहकर निम्न पाठ बोलें।
| ज्ञानातिचार आगमे तिविहे पण्णत्ते । तं जहा-सुत्तागमे, अत्थागमे, तदुभयागमे, __ इस तरह तीन प्रकार आगम रूप ज्ञान के विषय में जो कोई अतिचार लगा हो तो आलोऊँ| ७२ श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र