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(आप सूज्झते होते हुए दूसरे से दान दिराया हो) अपनी वस्तु को दूसरे की बतलाई हो, मत्सर भाव से दान दिया हो, तो तस्स मिच्छामि दुक्कडं ।
संलेखना के अतिचार
संलेखना के विषय में जो कोई अतिचार लगा हो
तो आलोऊँ
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तं जहा - इहलोगासंसप्पओगे,
परलोगासंसप्पओगे,
जीवियासंसप्पओगे,
मरणासंसप्पओगे,
कामभोगासंसप्पओगे,
[ मा मज्झ हुज्ज मरणंते वि सड्ढापरूवणम्मि अन्नहा भावो]
मारणान्तिक कष्ट के होने पर भी मेरी श्रद्धा प्ररूपणा
में अन्तर आया हो, तो तस्स मिच्छामि दुक्कडं ।
श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र
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