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अनंगक्रीड़ा की हो, पर-विवाह कराया हो, काम-भोग की तीव्र अभिलाषा की हो, तो । तस्स मिच्छामि दुक्कडं। | पंचम अपरिग्रह व्रत के अतिचार __ पाँचवाँ स्थूल परिग्रह-परिमाण व्रत के विषय में जो कोई अतिचार लगा हो तो आलोऊँ
क्षेत्र-वास्तु के परिमाण का अतिक्रमण किया हो, हिरण्य-सुवर्ण के परिमाण का अतिक्रमण किया हो,
धन-धान्य के परिमाण का अतिक्रमण किया हो, द्विपद-चतुष्पद के परिमाण का अतिक्रमण किया
___ कुप्य (घर बिखेरी) के परिमाण का अतिक्रमण किया हो, तो
तस्स मिच्छामि दुक्कडं। | श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र ५९