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मर्यादित सीमा के बाहर की वस्तु मँगाई हो, अथवा बाहर वस्तु भेजी हो, शब्द करके चेताया हो, रूप दिखाकर अपना भाव प्रकट किया हो, कंकर आदि फेंककर दूसरे को बुलाया हो, तो आलोऊँ।
ग्यारहवें प्रतिपूर्ण पौषध व्रत के विषय में जो कोई अतिचार लगा हो तो आलोऊँ. पौषध व्रत में शय्या संथारे की प्रतिलेखना न की
उसकी प्रमार्जना न की हो, उच्चारपासवणभूमि की प्रतिलेखना न की हो, उसकी प्रमार्जना न की हो, पौषध व्रत का सम्यक् पालन न किया हो, पौषध में निद्रा, विकथा, प्रमाद का सेवन किया
जाते आवस्सही-आवस्सही न कहा हो, आते निसिही-निसिही न कहा हो,
श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र
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