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शक्रेन्द्र महाराज की आज्ञा न ली हो, थोड़ी जगह पूंजकर घनी जगह परठा हो,
परठकर तीन बार वोसिरामि-वोसिरामि न कहा हो, .
तो आलोऊँ।
बारहवाँ अतिथि-संविभाग व्रत के विषय में जो कोई अतिचार लगा हो तो आलोऊँ
सूज्झती वस्तु सचित्त पर रखी हो, सचित्त वस्तु से ढंकी हो, काल का अतिक्रमण किया हो, (आप सूझते होते हुए दूसरे से दान दिराया हो) अपनी वस्तु को दूसरे की बतलाई हो, मत्सर भाव से दान दिया हो, तो आलोऊँ। x x
x संलेखना के विषय में जो कोई अतिचार लगा हो तो आलोऊँ
श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र
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