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आगरा
चैत्र पूर्णिना सं० २००७
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आशीर्वाद, व्याख्यानवाचस्पति श्रद्धेय श्री मदन मुनि जी एवं योगनिष्ठ श्रीरामजीलालजी म० की उत्साह पूर्ण मधुर प्रेरणा, श्री बलवन्त मुनि जी का विलम्ब होते रहने के लिए समय समय पर उलहना, मेरे चिर स्नेही गुरु भ्राता श्री अमोलकचन्दजी का पद-पद पर सहयोग एवं परामर्श, मेरे प्रिय शिष्ययुगल श्री विजय मुनि और सुरेश मुनिजी का सहकार ही मुझे प्रस्तुत विशाल - लेखन कार्य की पूर्ति पर पहुँचा सका है । ओर जैन सिद्धान्त सभा के संस्थापक श्री नगीनदास गिरधरलाल सेठ श्री दयालचन्द्र जी चोरडिया रोशन मुहल्ला आगरा की ओर से मिलने वाली साहित्य सामग्री आदि का सहयोग भी प्रस्तुत कार्य के साथ स्मृति में रहेगा । सन्मतिज्ञान पीठ के महामन्त्री सेठ रतनलाल जी की सेवा तो अपनी निजी बात है, वह भुलाई ही कैसे जा सकती है ? प्रिय आत्म-बन्धुत्रो ! तुम सब का सहयोग भविष्य के लिए भी यथावसर प्रस्तुत रहे, यही मङ्गल कामना |
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- अमर मुनि