________________
आधुनिक वृत्तान्त और चौडाइ ५७ फूट है । इसका गुंबज ९६ फूट ऊँचा है । मंदिर के पूर्व मंडप है, जिसके पश्चिम ३१ फूट लंबा और इतना ही चौडा एक कमरा है । इस कमरे के दोनों बगलों में चबूतरे पर एक एक द्वार बना हुआ है । मध्य में १२ स्तंभ लगे हैं । इसकी छत गोलगुम्बजदार है । कमरे में होकर गर्भागार में, जो २३ फूट लंबा और उतना ही चौडा है, जाया जाता है । इसमें मूर्ति के सिंहासन के कोनों के पास ४ विचित्र खम्भे लगे हैं । फर्श से ५६ फूट ऊँचा मूर्ति के बैठने का स्थान है । चारों ओर ४ बडे बडे द्वार हैं । गर्भागार की दिवार जिस पर मूर्तियाँ बिराजमान है, बहुत ही मोटी है । उसमें अनेक छोटी छोटी कोठारियां बनी हुई हैं । फर्श में नील, श्वेत तथा भूरे रंग के सुन्दर संगमरमर के टुकडे जड़े हुए हैं । गर्भागार में २ फूट ऊंचा, १२ फूट लंबा और उतना ही चौडा श्वेत, संगमर्मर का सिंहासन बना हुआ है । सिंहासन पर श्वेत ही संगमरमर की बनी हुई १० फूट ऊँची
आदिनाथ भगवान की ४ मनोहर मूर्तियें पद्मासनासीन हैं । गर्भागार में के चारों ओर के द्वारों में से प्रतिद्वार की ओर एक एक मूर्ति का मुख है, इसलिये यह मंदिर 'चौमुखवसही' के नाम से प्रसिद्ध है । यह मंदिर, एक तो पर्वत के ऊंचे भाग पर होने से और दूसरा स्वयं बहुत ऊँचा होने से, आकाश के स्वच्छ होने पर २५-३० कोस की दूरी पर से दर्शकों को दिखलाई देता है । इस टोंक को अहमदाबाद के सेठ सोमजी सवाईने संवत् १६७५ में बनाया है । 'मिराते अहमदी' में लिखा है कि, इस मंदिर के बनवाने में ५८ लाख रुपये लगे थे ! लोग कहते हैं कि केवल ८४००० रुपयों की तो रस्सियां ही इसमें काम में आई थीं !!
२ छीपावसही की टोंक । यह टोंक छोटी ही है । इसमें ३ बडे बडे मंदिर और ४ छोटी छोटी देहरियां हैं । इसे छीपा (भावसार) लोगों ने बनाई है, इसलिये यह
Jain Education International 2010_02
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org