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ऐतिहासिक सार-भाग
उद्धार-वर्णन
(दूसरा उल्लास) चापोत्कट (चावडा) वंश के प्रसिद्ध नृपति वनराज ने गुजरात की (मध्यकालीन) राजधानी अणहिल्लपुर-पाटण को बसाया बाद, *वनराज, योगराज, क्षेमराज, भूयड, वज्र, रत्नादित्य और सामन्त सिंह नामक ७ चावडा राजाओं ने उसमें राज्य किया । उनके बाद मूलराज, चामुंडराज, वल्लभराज, दुर्लभराज, भीमराज, कर्णराज, जयसिंह (सिद्धराज), कुमारपाल, अजयपाल, लघुमूलराज और भीमराज ने - इन ११ चौलुक्य (सोलंकी) नृपतियों ने गुजरात का शासन किया । चौलुक्यों के बाद वाघेला वंश के वीरधवल, वीसल, अर्जुनदेव, सारङ्गदेव और कर्ण नामक पांच राजाओं का राज्य रहा । संवत् १३५७ में अलाउद्दीन के सैन्य ने कर्णराजा का पराजय कर पट्टन में अपना अधिकार जमाया । __विक्रम संवत् १२४५ में मुसलमानों ने भारत की राजधानी दिल्ही को अपने आधिन में लिये बाद अलाउद्दीन तक १५ बादशाहों ने वहां पर अधिकार किया । उनके नाम इस प्रकार है - __२१ महिमद,
४ कुतुबुद्दीन २ सांजरसाहि,
शाहबुद्दीन ३ मोजद्दीन,
रुकमद्दीन * इन सब राजाओं ने कितने कितने समय तक राज्य किया है, इसका उल्लेख, मूल प्रबन्ध के अन्त में जो 'राजावली-कोष्टक' किया है, उसमें स्वयं प्रबन्धकार ने कर दिया है ।
१. टिप्पणी में लिखा है कि, किसी किसी जगह अजयपाल के बाद त्रिभुवनपाल का नाम लिखा हुआ मिलता है, लेकिन वीरधवल के पुरोहित सोमेश्वर कवि की बनाई हुई 'कीर्तिकौमुदी' में वह नहीं गिना गया है, इसलिये हमने भी उसका उल्लेख नहीं किया ।
२. इन सब मुसलमान बादशाहों के राज्यकाल का भी मान 'राजावली कोष्ठक' में दिया हुआ है ।
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