Book Title: Shatrunjayatirthoddharprabandha
Author(s): Jinvijay
Publisher: Shrutgyan Prasarak Sabha

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Page 70
________________ ६७ परिशिष्ट । कर्मा साह के उद्धार की बृहत्प्रशस्ति जो शत्रुजय के मुख्य मंदिर के द्वार पर बड़े शिलापट्ट में उकीरी हुई है, इस जगह दी जाती है । इसके कर्ता कविवर लावण्यसमय हैं, जिन्होंने 'विमलप्रबन्ध' नामक प्रसिद्ध ऐतिहासिक पुस्तक की रचना की है । ॥ ॐ स्वस्ति श्रीगूर्जरधरित्र्यां पातसाहश्रीमहिमूदपट्टप्रभाकरपातसाहश्रीमदाफरसाहपट्टोद्योतकारकपातसाह श्रीश्रीश्रीश्रीश्री बादरसाह विजयराज्ये । संवत् १५८७ वर्षे राज्यव्यापारधुरंधरषान श्रीमझादषानव्यापारे श्रीशत्रुञ्जयगिरौ श्रीचित्रकूटवास्तव्य दो०करमाकृत-सप्तमोद्धारसक्ता प्रशस्तिर्लिख्यते ॥ स्वस्ति श्रीसौख्यदो जीयाधुगादिजिननायकः । केवलज्ञानविमलो विमलाचलमण्डनः ॥१॥ श्रीमेदपाटे प्रकटप्रभावे भावेन भव्ये भुवनप्रसिद्ध । श्रीचित्रकूटो मुकुटोपमानो विराजमानोऽस्ति समस्तलक्ष्म्या ॥२॥ सन्नन्दनो दातृसुरद्रुमश्च तुङ्गः सुवर्णोऽपि विहारसारः । जिनेश्वरस्नात्र-पवित्रभूमिः श्रीचित्रकूटः सुरशैलतुल्यः ॥३॥ विशालसालक्षितिलोचनाभो रम्यो नृणां लोचनचित्रकारी । Jain Education International 2010_02 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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