Book Title: Saptatishat Sthana Prakaranam Part 2
Author(s): Ruddhisagar
Publisher: Buddhisagarsuri Jain Gyanmandir

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Page 11
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (४) तथाऽभिग्रहा विहारः, छद्मस्थत्वं प्रमादोपसर्गाः । केवलमासाद्युडूनि, राशिः स्थानं वनं वृक्षाः ॥ ११ ॥ तम्माण ९३ तवो ९४ वेला ९५, अदोसया ९६ अइसया य ९७ वयणगुणा ९८ । तह पाडिहेर ९९ तित्थु-प्पत्ती १०० तत्काल १०१ वुच्छेया १०२ ॥ १२ ॥ तन्मानं तपोवेलाऽ-दोषताऽतिशयाश्च वचनगुणाः । तथा प्रातिहार्यतीर्थो-त्पत्तितत्कालव्युच्छेदाः ॥ १२॥ गणि १०३ सिस्सिणि १०४ सावय १०५ स-ड्डि१०६ भत्तनिव १०७ जक्ख १०८ जक्खिणी नामा। गण ११० गणहर १११ मुणि ११२ संजइ ११३-सावय ११४ सड्डीण ११५ केवलिणं ११६ ॥ १३ ॥ गणिशिष्याश्रावकश्राद्धी,-भक्तनृपयक्षयक्षिणीनामानि । गणगणधरमुनिसंयति-श्रावकश्राद्धीनां केवलिनाम् ॥१३॥ मणनाणि ११७ ओहि ११८ चउदस-पुवी ११९ वेउवि १२० वाइ १२१ सेसाणं १२२ । तहणुत्तरोववाइय १२३पइन्न १२४ पत्तेयबुद्धाणं १२५ ॥ १४ ॥ मनोज्ञान्यवधिचतुर्दश-पूर्विवैक्रियवादिशेषाणाम् । तथाऽनुत्तरोपपातिक-प्रकीर्णप्रत्येकबुद्धानाम् ॥ १४ ॥ आएस १२६ साहु १२७ सावय १२८, वयाणमुवगरण १२९ चरण १३० तत्ताणं १३१ । सामाइअ १३२पडिकमणा-ण चेवसंखाय १३३ निसिभत्तं १२४ ॥ १५ ॥ For Private And Personal Use Only

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