Book Title: Saptatishat Sthana Prakaranam Part 2
Author(s): Ruddhisagar
Publisher: Buddhisagarsuri Jain Gyanmandir

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Page 45
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (३८ ) रायपुरं तह मिहिला, रायगिहं तह य होइ वीरपुरं । बारवई कोयकडं, कुल्लागं पारणपुराइं ॥१६२ ॥ हस्तिनापुरमयोध्या, श्रावस्ती तथाऽयोध्याविजयपुरम् । ब्रह्मस्थलं पाटलिखण्डं, तथा पद्मखण्डञ्च ॥१६० ॥ श्वेतपुरंरिष्ठपुरं, सिद्धार्थमहापुरं च धान्यकडम् तथा वर्द्धमानसौमनस्य, मन्दिरं चैव चक्रपुरम् ॥ १६१ ॥ राजपुरं तथा मिथिला, राजगृहं तथा च भवति वीरपुरम् । द्वारवती कोपकटं, कुल्लागं पारणपुराणि ॥ १६२ ॥ सिजंस बंभदत्तो, सुरिंददत्तो अइंददत्तो अ।। पउमो अ सोमदेवो, महिंद तह सोमदत्तो अ ॥१६३ ॥ पुस्सो पुणवसू तह, नंद सुनंदो जओ अ विजओ अ । तत्तो अ धम्मसीहो, सुमित्त तह वग्घसीहो अ ॥ १६४ ॥ अवराइअ विससेणो-अ वंभदत्तो अ दिन्न वरदिन्नो । धन्नो बहुलो अ इमे, पढमजिणभिक्खदायारो ॥ १६५ ॥ श्रेयांसो ब्रह्मदत्तः, सुरेन्द्रदत्तश्चेन्द्रदत्तश्च । पद्मश्च सोमदेवो-महेन्द्रस्तथासोमदत्तश्च ॥१६३ ।। पुष्यः पुनर्वसुस्तथा, नन्दसुनन्दौ जयश्वविजयश्च । ततश्चधर्मसिंहः, सुमित्रस्तथा व्याघ्रसिंहश्च ॥ १६४ ॥ अपराजितो विश्वसेनश्च, ब्रह्मदत्तश्च दिन्नवरदिन्नौ । धन्यो बहुलश्वेमे, प्रथमजिनभिक्षादातारः ॥ १६५ ॥ For Private And Personal Use Only

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