Book Title: Saptatishat Sthana Prakaranam Part 2
Author(s): Ruddhisagar
Publisher: Buddhisagarsuri Jain Gyanmandir

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Page 64
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ५७ ) सट्टि १२ पणपन्न १३ पत्र १४ पणयाला १५ ।। तेआला १६ बत्तीसा १७, दुवीसवातोअ अडवीसं १८ ।। २४८ ॥ बावीस १९ ठार २० सोलस २१, पणरस २२ दस १३ सगसयाइँ केवलिणो । सव्वग्गमेगलक्खो, छहत्तरीसहससयमेगं ॥ २४९ ॥ ऋषभस्य विंशर्तिसहस्राणि, विशतिद्वविंशतिर्वाप्यजितस्य । पञ्चदश चतुर्दश त्रयोदश, द्वादशैकादश दश ततश्च ॥ २४७ ॥ पञ्चसप्ततिसप्ततिः पञ्चपष्टिः पष्टिः पञ्चपञ्चाशत्पञ्चाशत्पञ्च चत्वारिंशत् । त्रिचत्वारिंशद्वात्रिंशद्, द्वाविंशतिर्वा ऽष्टाविंशतिः ॥ २४८ ॥ द्वाविंशत्यष्टादश पोडश- पञ्चदश दश सप्तशतानि केवलिनः । सर्वाप्रमेकं लक्षं, पट्सप्ततिसहस्राणि शतमेकं ॥ २४९ ॥ " मणनाणि बारसहसा, सड्ढसग सयाइँ सड्ढ छसया वा ॥ तत्तोबारससहसा, पणसयपंचसयसड्ढा वा ।। २५० ।। बारसइस सस्यं ३, एगारससहस छसयपंचासा ४ || दशसहस सड्ढ चउसय ५, तो दससहसा य तिनि सया ६ ।। २५१ ॥ सड्ढा इगनवइसया ७, असीइ ८ पन्नत्तरीइ ९ पणसयरी १० ॥ सट्ठी ११ सट्ठी १२ पणप - न १३ पन्न १४ पणयाल १५ चत्तसया १६ ।। २५२ ।। चतहिय तितीससया १७, इगव हिया पंचवीससया १८ ।। ससतरसय १९ पनरस २०, बारस पन्नहिय सट्ठीवा २१ ॥ २५३ ॥ दश २२ सड्डसत्त २३ पणस्य २४, सबै मणनाणि एग लक्खा य ॥ पणयालीससहस्सा, पंचसया इगनवइअहिया || २६४ ।। For Private And Personal Use Only

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