Book Title: Saptatishat Sthana Prakaranam Part 2
Author(s): Ruddhisagar
Publisher: Buddhisagarsuri Jain Gyanmandir

View full book text
Previous | Next

Page 27
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( २० ) सियमग्गदसमि १८ गारसि १९, बहुलट्ठमि जिट्ठ २० सावणे मासे २१ । सावणसियपंचमि २२ पो - सकसिणदसमि २३ सियचित्ततेरसिया २४ ॥ ८१ ॥ जन्ममासादिः ॥ सितमार्गदशम्येकादशी, बहुलाष्टमी ज्येष्ठश्रावणे मासे । श्रावणसितपञ्चमी पौष, - कृष्णादशमी सितचैत्रत्रयोदशिका ॥ ८१ ॥ वेला २२ रिक्खा ३३ रासी २४, पुविं भणिया इहावि विनेया, संखिजकालरूवे, तइयरयंते उसहजम्मो || १ || ८२ ॥ वेला ऋक्षाणि राशयः, पूर्वं भणिता इहाऽपि विज्ञेयाः । संख्येयकालरूपे, तृतीयारकान्ते ऋषभजन्म ॥ ८२ ॥ अजियस्स चउत्थारय- मज्झे २ पच्छद्धि संभवाईणं १७ | तस्संति अराईणं २४, जिणाण जम्मो तहा मुक्खो || ८३ ॥ अजितस्य चतुर्थारक - मध्ये पश्चार्द्ध संभवादीनाम | तस्यान्तेऽरादीनां, जिनानां जन्म तथा मोक्षः ॥ ८३ ॥ > सुसमसुसमा य १ सुसमा दुसम सुसमाय ४ । दुसमा य ५ णुस्सप्पिणी छ अरा ॥ ८४ ॥ २ सूसमदुसमा य ३ दुसमदुसमा ६ - वसप्पि - सुषमसुषमा च सुषमा, सुषमदुःषमा च दुःपमसुषमा च । दुःषमा च दुःषमदुः षमा, - ऽवसर्पिण्युत्सर्पिणी पडरकाः ॥ ८४ ॥ सागरकोडाकोडी, चउ १ ति २ दु ३ इग ४ समदुचत्तसहस्रणा । वाससहसेगवीसा ५, इगवीस ६ कमा छ अरयमाणं ।। ८५ ।। For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112