Book Title: Saptatishat Sthana Prakaranam Part 2
Author(s): Ruddhisagar
Publisher: Buddhisagarsuri Jain Gyanmandir

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Page 22
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १५ ) माघस्य कृष्णषष्ठी, भाद्राष्टमी चैत्रमास पञ्चमिका | फाल्गुननवमी वैशाखं षष्ठी तथा ज्येष्ठषष्ठीच ॥ ६० ॥ जिमि सुद्धनवमी १२, तत्तो वइसाहबारसी सुद्धा १३ । सावणकसिणा सत्तमि १४, विसाहसिय १५ भद्दवे कन्हा | ६१ | ज्येष्ठस्यशुद्धनवमी, ततो वैशाखद्वादशी शुद्धा । श्रावणकृष्णा सप्तमी, वैशाखसिता भाद्रपद कृष्णा ॥ ६१ ॥ सावणकसिणा नवमी १७, फग्गुणसियबीअफग्गुणचउत्थी १९ | सावणि २० अस्सिणपूनिम २१, कत्तिय बहुला दुवालसिआ || २२ ॥ ६२ ॥ श्रावणकृष्णा नवमी, फाल्गुनसितद्वितीया फाल्गुनचतुर्थी । श्रावणाऽऽश्विनपूर्णिमा, कार्त्तिककृष्णा द्वादशिका ॥ ६२ ॥ असिआ चित्तचउत्थी २३, असादसिय छट्टि २४ चवणमासाई । इत्थन्नत्थवि पयडं, अभणिअमहिगारओ नेयं ॥ ६३ ॥ असिता चैत्रचतुर्थी, अषाढसितषष्ठी च्यवनमासादि । इत्थमन्यत्राऽपि प्रकट - मभणितमधिकारतोज्ञेयम् ॥ ६३ ॥ भूयभविस्सजिणाणं, पुवणुपुवीर वट्टमाणाणं । पच्छाणुपुचियाए, कल्लाणतिहीउ अन्नुन्नं ।। ६४ ।। भूतभविष्यज्जिनानां, पूर्वानुपूर्व्या वर्त्तमानानाम् । पञ्चानुपूर्व्या यास्ताः, कल्याणतिथयोऽन्योऽन्यम् ॥ ६४ ॥ For Private And Personal Use Only

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