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तृतीय संस्करण के सम्बन्ध में जहां मुझे अपने सुविज्ञ तथा कृपालु पाठकों का विशेष रूप से धन्यवाद करना है कि उन्हों ने इस पुस्तक का आशातीत आदर कर के मुझे अत्यन्त अनुगृहीत किया है, वहां मुझे इस बात की भी क्षमा मांगनी है कि प्रेम को अनेक कठिनाइयों तथा मुद्रण की नाना असुबिधाओं के कारण प्रकाशक प्रयत्न करने पर भी उनकी प्रेम भरी मांग को पूरा करने में असमर्थ रहे। इस संस्करण को भी छपते छपते तेरह मास से ऊपर लग गए । तो भी मैं राजहंस प्रेस के संचालकों का धन्यवाद करता हूँ कि वे इस पुस्तक को इस सुन्दर रूप से निकालने में समर्थ हुए । मैं श्राशा रखता हूँ कि भविष्य में पाठकों को इतनी लम्बी प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी।
भास के ग्रन्थों में पृष्ठ ७२ पर उसके १४ वे नाटक 'यज्ञफलम्। का वर्णन किया गया है। विशेष खोज से पता चला है कि वास्तव में यह एक कृत्रिमता ( forgery) है और कि यह नाटक महाकवि भास का नहीं है।
कौटल्य के अर्थशास्त्र का सस्कृत साहित्य में विशेष महत्व है। पहले संस्करण में उसे परिशिष्ट में रखा गया था। इस संस्करण में उसपर मूल पुस्तक में अलग अध्याय दिया गया है । स्थान स्थान पर
और भी आवश्यक सुधार किए गए हैं। श्राशा है कि विद्वान् पाठक इसे उपयोगी पायेंगे।
विनीतः हंसराज अग्रवाल