Book Title: Samyag Darshan Part 01
Author(s): Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publisher: Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai

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Page 16
________________ www.vitragvani.com (xiv) पृष्ठ 143 171 174 175 178 187 192 198 199 200 201 221 लेख जिज्ञासु को धर्म कैसे करना चाहिए? एकबार भी जो मिथ्यात्व का त्याग करे तो जरूर मोक्ष पावे अपूर्व पुरुषार्थ श्रद्धा-ज्ञान और चारित्र की भिन्न-भिन्न अपेक्षायें सम्यग्दर्शन-धर्म हे जीवो! मिथ्यात्व के महापाप को छोड़ो दर्शनाचार और चारित्राचार कौन सम्यग्दृष्टि है? सम्यग्दृष्टि का वर्णन मिथ्यादृष्टि का वर्णन सम्यग्दर्शन की रीति स्वभावानुभव की विधि पुनीत सम्यग्दर्शन धर्मात्मा की स्वरूप-जागृति हे भव्य ! इतना तो अवश्य करना महापाप-मिथ्यात्व (1) महापाप-मिथ्यात्व (2) सम्यग्दर्शन बिना सब कुछ किया लेकिन उससे क्या? द्रव्यदृष्टि ही सम्यग्दृष्टि धर्म की पहली भूमिका-भाग-1 (मिथ्यात्व का अर्थ) धर्म की पहली भूमिका-भाग-2 (मिथ्यात्व) धर्म की पहली भूमिका-भाग-3 सम्यग्दर्शन का स्वरूप और वह कैसे प्रगटे? धर्म साधन निश्चयश्रद्धा-ज्ञान कैसे प्रगट हो? सम्यक्त्व की महिमा, श्रावक क्या करे? 225 230 231 235 236 237 247 251 263 278 300 309 311 320 Shree Kundkund-Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.

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