Book Title: Samyag Darshan Part 01
Author(s): Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publisher: Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai

View full book text
Previous | Next

Page 15
________________ www.vitragvani.com (xv) अनुक्रमणिका लेख सम्यक्त्व को नमस्कार सम्यक्त्व का माहात्म्य आत्मस्वरूप की यथार्थ समझ सुलभ है द्रव्यदृष्टि की महिमा सम्यक्त्व की प्रतिज्ञा अविरत सम्यग्दृष्टि का परिणमन आत्महिताभिलाषी का प्रथम कर्तव्य श्रावकों का प्रथम कर्त्तव्य मोक्ष का उपाय-भगवती प्रज्ञा जीवन का कर्त्तव्य प्रभु प्रभु परम सत्य का हकार और उसका फल निःशंकता बिना धर्मात्मा धर्म नहीं रहता । ( न धर्मो धार्मिकैर्विना) सत् की प्राप्ति के लिए अर्पणता सम्यग्दृष्टि का अन्तरपरिणमन पृष्ठ 1 Shree Kundkund - Kahan Parmarthik Trust, Mumbai. 3 5 8 15 2 2 1 1 1 1 1 1 2 2 2 2 1 1 1 1 14 16 22 कल्याणमूर्ति धर्म का मूल सम्यग्दर्शन है सम्यग्दर्शन गुण है या पर्याय ? हे जीवो! सम्यक्त्व की आराधना करो सम्यग्दर्शन प्राप्ति का उपाय ( जय अरिहन्त ) भेद - विज्ञानी का उल्लास अरे भव्य ! तू तत्त्व का कौतूहली होकर आत्मा का अनुभवकर सबमें बड़े में बड़ा पाप, सबमें बड़ा पुण्य और सबमें पहले में पहला धर्म 126 28 53 55 56 58 64 66 121 122 129 130 134 135 138 142

Loading...

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 ... 344