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काम
शिव स्तुति
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय, भस्माङ्गरागाय महेश्वराय । नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,
तस्मै 'न' काराय नमः शिवायः॥ जिनके कण्ठ में साँपों का हार है, जिनके तीन नेत्र हैं, भस्म ही जिनका अङ्गराग (अनुलेपन्) है, दिशायें ही जिनका वस्त्र है। (अर्थात् जो नग्न है), उन शुद्ध अविनाशी महेश्वर 'न' का स्वरूप शिव को नमस्कार है ॥१॥
मन्दाकिनीसलिलचन्दनचिताय, नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय । मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय,
तस्मै 'म' काराय नमः शिवाय ॥ गङ्गाजल और चन्दन से जिनकी अर्चा हुई है, मन्दार-पुष्प तथा अन्याय कुसुमों से जिनकी सुन्दर पूजा हुई है, उन नन्दी के अधिपति प्रमथगणों के स्वामी महेश्वर 'म' का स्वरूप शिव को नमस्कार है ॥२॥
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रत्न ज्ञान
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