Book Title: Ratnagyan Author(s): Yogiraj Mulchand Khatri Publisher: Shiv Ratna Kendra HaridwarPage 54
________________ ॐ नमः शिवाय पुखराज पुखराज को संस्कृत में पुष्पराग कहते हैं, अंग्रेजी में White Sapphire. पुखराज को पुष्पराग भी कहा जाता है। रत्नों में पुखराज सबसे लोकप्रिय रत्न हैं । इसका उपयोग लाकिट, अंगूठी आदि जेवरों में किया जाता है । नीलम, पुखराज एक ही रसायनिक संगठन के हैं । यह रत्न अपनी प्रकृति अवस्था में कुरन्दम वर्ग में आते हैं । इनके रंगों की भिन्नता उसमें मिले भिन्न-भिन्न द्रव पदार्थों के कारण हो जाती है । हल्के पीले रंग में पुखराज अधिक पाया जाता है । पीले रंग का पुखराज ही सर्वश्रेष्ठ और प्रसिद्ध है । पुखराज पर्वतीय बर्फीली शिलाओं के नीचे पाया जाता है । इसके साथ और भी कई उपरत्न पैदा हो जाते हैं । परन्तु पुखराज अन्य रत्नों से भारी और टिकाऊ होने के कारण इन शिलाओं से बहकर कंकड़ों की शक्ल में नदी तलों पर भी मिल जाता है । पुखराज हीरा आदि कुरून्दम वर्ग के पत्थरों से कुछ कोमल है । पुखराज को रगड़ कर इसमें बिजली पैदा की जा सकती है । विद्युत शक्ति प्राप्ति के लिये यह एक विशेष रत्न है । पुखराज को पहचान : ग्रह दशा को शान्त करने के लिये पुखराज प्रेमी बाजार में आकर गहरे पीले रंग की चमक साफ सुथरा खोज करते हैं । परन्तु गहरे पीले रंग में पुखराज तो रंगा हुआ होता है। गहरे रंग की चमक साफ सुथरा देखकर व्यक्ति बाजार से ले जाते हैं। थोड़े दिन में रंग उतर जाता है । ले जाने वालों को रंग उतर जाने के बाद पता लगता है । कि यह रंग चढ़ाया हुवा था । ऐसी बहुत शिकायतें [४४] रत्न ज्ञान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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