Book Title: Ratnagyan
Author(s): Yogiraj Mulchand Khatri
Publisher: Shiv Ratna Kendra Haridwar

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Page 86
________________ में उनकी जौहरियों में गिनती है। सभी हरिद्वार के बाजार को छोड़कर अपने घर (निवास स्थान) में बैठे हैं । वहां भी उनके पास ग्राहक पहुँचता है । सभी दुकानों से अच्छी बिक्री भी होती है। ऐसा क्यों-- खत्री जी को रत्न और रूद्राक्ष के सम्बन्ध में बड़ा पुराना अनुभव है। अब तक कई लाखों ग्राहकों को उनके नाम को राशि के हिसाब से रत्न दिये। उनमें से सभी की मनोकामना पूर्ण हुई । यदा-कदा किसी को लाभ नहीं हुआ, तो उसे दो हुई वस्तु को वापिस बदलकर दिया। इसी प्रकार अनेकों लोगों पर हुए प्रयोगों का अध्ययन किया जाए तो बड़े गहन अनुभव से गुजरना होगा। रोजगार में घाटा हो रहा है. घर में कलह रहती है बीमारी घेरे रहती है असाध्य रोग से पीड़ित है समाज में इज्जत नहीं रह गई है, पढ़ने में मन नहीं लगता, नौकरी नहीं लग रही या उन्नति नही हो रही है मुकद्दमे में फंसे हुए हैं आदि-आदि । योगीराज जी से बताईये अवश्य ही आपको निःशुल्क उपाय बताया जायेगा। लाखों लोगों को लाभ पहुँचने के अर्थ है खत्री जी किसी को नकली वस्तु नहीं देते यदि व्यक्ति वस्तु की परख में अपनी अयोग्यता होने पर भी योग्यता दिखाकर नकली पसन्द कर लें तो उसके लिये यह अपना गारण्टी कार्ड नहीं देते।। शिव रत्न केन्द्र के प्रचार कार्य के लिये उनका कहना है भगवान् शङ्कर घर बैठे सबसे अधिक दे रहे हैं तो प्रचार किस लिए किया जाए। मेरे या केन्द्र के नाम से कोई ठगा न जाए, इस लिए बोड लगा दिये हैं। शिव रत्न केन्द्र से कोई भी वस्तु खरीदने पर गारण्टी कार्ड दिया जायेगा जिसमें लिखा होगा नकली साबित करने वाले को १,५०,००० रुरये नगद ईनाम दिया जायेगा। - रत्न ज्ञान [७२] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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