________________
शुभकामनाएं एवं शुभ-सन्देश !
सर्व व्यापी परम् पिता परमेश्वर की महान् कृपा तथा आशीर्वाद समस्त प्रेमियों, बन्धु बान्धवों, आदरणीय माताओं और बहिनों, देश विदेश की प्रेमी जनताओं से हमें अनेक पत्र प्रतिदिन प्राप्त होते रहते हैं। उन सब महानुभावों के असीम प्यार एवं श्रद्धा का मैं बहुत आभारी हूँ। __मैं उन सभी महानुभावों का हृदय से आभारी हूँ। जो मुझे सेवा का अवसर प्रदान करते हैं।
मैं उन सबका भी बहुत आभारी हूँ जिनके मैं दर्शन नहीं कर . सका और वे शिव रत्न केन्द्र की उन्नति में सदैव लगे रहते हैं। मैं सभी शिव रत्न केन्द्र के शुभचिन्तकों के लिये ईश्वर से उनके कल्याण की कामना करता रहूंगा कि ईश्वर उनका जीवन सदा खुशहाल बनाये रखे। मैं आगे भी आशा करता हूं कि आप सभी का अमूल्य सहयोग मुझे मिलता रहेगा यदि मुझसे जाने अनजाने में कोई गलती हो गई हो तो उनको क्षमा करें। तथा पत्र द्वारा सूचित भी करें जिससे हम अपनी गलती को सुधार सकें। निवेदन
शिव रत्न केन्द्र में आने वाले सभी शुभ चिन्तकों से निवेदन है कि वे अपने साथियों को सलाह व खरीदारो की सेवा के लिये सन्तल सराय, ऊपरी मंजिल के पते पर भेजें आपके इस सहयोग के लिये सदा मैं आभारी हूँ। आपकी सेवा में सदैव तत्पर :
योगीराज मूलचन्द खत्री शिव रत्न केन्द्र (रजि0) सन्तल सराय, दूसरी मंजिल गऊघाट, हरिद्वार
रत्न ज्ञान
-
--
--
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org