Book Title: Ratnagyan
Author(s): Yogiraj Mulchand Khatri
Publisher: Shiv Ratna Kendra Haridwar

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Page 53
________________ ॐ नमः शिवाय आयुर्वेद रसायन "शिव रत्न केन्द्र" ने प्राचीन पद्धति से सोना, चांदी, तांबा लोहा, माण्डूर, रांगा, कलई पारा आदि धातुओं की शृङ्ग सीप शङ्ख सङ्खिया, अवरक तथा हीरा, मोती, माणिक, पुखराज, पन्ना गोमेद, मुंगा, नीलम, लहसुनिया, रत्नों की भस्म, हीरे को छोड़कर सभी रत्नों की पिस्टी योग्य वैद्यों की देख-रेख में तैयार करायी गया है। जो नाम दिये गये हैं, उनके अलावा किसी भी प्रकार की भस्मी और पिस्टी के लिये हमसे अवश्य पूछ लें। आर्डर मिलने पर तैयार कराकर भी भेजी जाती है। असली होने को गारण्टी हमारी होगी। जो सज्जन किसी भी रोग के लिये वैद्य के परामर्श से रसायन प्रयोग कर रहे हैं, स्वयं आकर या डाक द्वारा हमसे मंगायें। * आयुर्वेद चिकित्सा कराने वालों के लिये मूल्य में विशेष छूट दी जायेगी। सम्पर्क स्थान :योगीराज मूलचन्द खत्री एवम् श्रीमती सुशीला खत्री शिव रत्न केन्द्र [रजि०] सन्तल सराय, ऊपरी मञ्जिल, गऊघाट, हरिद्वार रत्न ज्ञान [४३] - - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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