Book Title: Ratnagyan Author(s): Yogiraj Mulchand Khatri Publisher: Shiv Ratna Kendra HaridwarPage 51
________________ होता। जाला और रूखापन पन्ने में न हो तो वह असली नहीं हो सकता । नकली बनाने वालों ने भी पन्ने में जाला डालने की कोशिश की है परन्तु बनाये हुए नकली और खान से निकले हुए असली में बहुत अन्तर है। इस अन्तर को तो रत्न का पुराना पारखी ही समझ सकेगा। हर व्यक्ति भैद को नहीं समझ सकता। कृत्रिम पन्ना :___ सबसे पहले किसी जर्मन फर्म ने १९३० में कृत्रिम पन्ना बनाया था और भी कई देशों ने बनाया। परन्तु माइक्रोस्कोप पर टेस्ट करने से उसके बनावटी होने का पता चल जाता है। दो टुकड़ों को जोड़कर भी एक पन्ना बनाया गया, उसके ऊपर का हिस्सा पन्ना, नीचे का हिस्सा बिल्लोर और बीच में हरा रंग लगाकर जोड़ दिया जाता हैं, परन्तु उसके बगल (साइड) से देखने से उसका जोड़ स्पष्ट दिखाई देता है। आयुर्वेद में पन्ना : आदिकाल से ही चिकित्सकों ने पन्ने की विषघ्न एवं बल वीर्यवर्धक गुणों को सभी ने स्वीकार किया है । रत्नों का रोगों में प्रयोग पिष्टिका, भस्म चूर्ण एवं सूर्य रश्मि चिकित्सा में होता चला आया है। आयुर्वेद में पन्ने की भस्म ठण्डी, रुचिकारक मेदवर्धन, क्षवावर्धक होती है तथा अम्लपित्त और दाह (जलन) को नष्ट करती है। इसके प्रयोग से तीव्र एवं मृदु ज्वर, उल्टी, दमा, अजीर्ण, बवासीर, पीलिया आदि में किया जाता है। किसी वैद्य के परामर्श से ही दवा का प्रयोग करना चाहिये, नहीं तो लाम के स्थान पर हानि भी हो सकती है। ज्योतिष में पन्ना : पन्ना बुधग्रह का पूज्य रत्न है । बुध ग्रह के विपरीत होने पर रत्न ज्ञान - - [४] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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