Book Title: Ratnagyan
Author(s): Yogiraj Mulchand Khatri
Publisher: Shiv Ratna Kendra Haridwar

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Page 69
________________ नोट: हमारे यहां नव रत्नों की माला बनी हुई तैयार मिलती हैं। आयुर्वेद शास्त्रीय विधि से बनाई हुई नहसुनिया की पिस्टी और भस्म भी उपलब्ध है। प्राप्ति स्थान :योगीराज मूलचन्द खत्री एवम् श्रीमती सुशीला खत्री शिव रत्न केन्द्र (रजि०) सन्तल सराय, ऊपरी मञ्जिल, गऊघाट हरिद्वार उपरत्न मूल स्टोन : - इसे चन्द्रमणि भी कहते हैं । यह मोती का उपरत्न है। इसको पहनने से मानसिक शान्ति मिलती है। स्फटिक : ___ यह होरे का उपरत्न है। इसको धारण करने से पुत्र और धन की प्राप्ति होती है। इसमें सरस्वती का बास होता है। ओनेक्स: (हरा मरगज) पन्ने का उपरत्न होता है। इसको धारण करने से आँखो की रोशनी बढ़ती है। गारनेट : (तामड़ा) मूगा, माणिक का उपरत्न है। सुनहरा टोपाज : यह पुखराज का उपरत्न है। गोमेद : इसका कोई उपरत्न नहीं है । रत्न ज्ञान [५७] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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