Book Title: Ratnagyan Author(s): Yogiraj Mulchand Khatri Publisher: Shiv Ratna Kendra HaridwarPage 50
________________ पन्ना पन्ना हरे रंग का चमकदार पत्थर होता है । जिस पन्ना में लोच, निम्बस, जर्दी और रंग नीम की पत्ती के समान हो, नीम की पत्ती में हरा रंग पीत आभायुक्त होता है, ऐसी पीत आभायुक्त हरितवर्ण पन्ना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है । पन्ना रत्न अपना अस्तित्व बहुत सम्भालकर रखता है । पन्ना देखने में भी बड़ा आकर्षक होता है हीरों के बीच में भी पन्ने जड़ें हों तो वह अपनी चमक-दमक अलग ही दिखाते हुए पाये हैं । व्यक्ति की नजर से नहीं छिपते । किसी आभूषण में पन्ने ही पन्ने जड़ दिये जायें। तो उनकी हरित आभा हँसते हुए दिखाई पड़ेगी । C पन्ना को संस्कृत भाषा में - मरकत, तादर्य, फारसी या उर्दू में - जर्मुद और अंग्रेजी में इमेरेल्ड (Emerald) कहते हैं । विभिन्न खानों के पन्ने की विभिन्नता : ॐ नमः शिवाय रूखा चमकहीन अभ्रक के साथ निकलने वाला पन्ना, इसकी अभ्रक जैसी चमक हो जाती है । चीर, दुरंग काला या पीला छींटा, सोना माखी -स्वर्ण के समान इसमें एक भिन्न पदार्थ होता है । पन्ना को उत्पत्ति : रूस, अफ्रिका, भारत ( अजमेर), वेल्जियम (ब्राजिल) पाकिस्तान, अमेरिका, की खान का माल पुष्ट होता है। रंग और पानी में सर्वोत्तम है । नकली पन्ने : [ ४० ] पन्ने में जाला होना आवश्यक है । जाला रहित पन्ना नहीं रत्न ज्ञान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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